Skip to main content

Girl Child Day: जीवन कौशल- जीवन को अपनी शर्तों पर जीने के लिए

“मैंने दसवीं कक्षा की पढ़ायी पूरी ही की थी कि जब मेरे पिता जी ने मेरी शादी करने का फ़ैसला किया। उन्होंने पूछा भी नहीं। यह पुरानी प्रथा है और बेटी की शादी करना सबसे ज़रूरी काम माना जाता है। मेरे पिता भी इसीलिए ज़िद पर अड़े थे। मेरे लिए शादी करना एक अनजान घर में जाने जैसा था। आप किसी दूसरे के परिवार का ध्यान रखते हो, उनके हिसाब से सब कुछ करते हो, पर आप ख़ुद कौन हो, यह आप भूल जाते हो। आप इसके बारे में सोचते भी नहीं हो। मेरे बहुत मनाने पर मेरे पिता ने मुझे आगे पढ़ने की इजाज़त दे दी”
-कमला सोचते हुए ये बताती है। अब कमला को एक प्रतिष्ठित NGO-रूम टू रीड में ऑफ़िसर की नौकरी मिल गयी है और वह इतनी आमदनी कमा पाती है जिससे वह अपने उसी पिता को सहयोग दे रही है जो उसके आगे पढ़ने का विरोध कर रहे थे।



कमला अपना यह अनुभव रूम टू रीड द्वारा मुंबई में लड़कियों के लिए आयोजित एक अन्तर्राष्ट्रीय दिवस पर साझा करती है। ११ अक्तूबर को ‘यू एन गर्ल चाइल्ड डे’ (UN बालिका दिवस) के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। मुंबई में आयोजित इस समारोह में इसे उत्साह से मनाया गया। पर यह उत्सव भारतीय सन्दर्भ में बालिकाओं के लिए उतना उत्साह नहीं लाता, उनके लिए हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता है। उत्तराखंड से रूम टू रीड का हिस्सा बनने तक का कमला का सफ़र,एक आसान सफ़र नहीं रहा।

अब समय आ गया है कि उन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए जो भारत में बालिका शिक्षा की निराशाजनक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। मिनिस्ट्री औफ स्टटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लमेंटेशन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट ‘चिल्ड्रेन इन इंडिया 2018 के तहत 30% से ज़्यादा बालिकाएँ कक्षा 9  तक पहुँचने से पहले ही स्कूल छोड़ देती हैं, यह आँकड़ा कक्षा 11 के अंत तक 57% तक पहुँच जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के लिए रूम टू रीड एवं इंडिया रीजनल बोर्ड मुंबई में एक उत्सव का आयोजन कर रहे हैं  जिसमें वे अपने बालिका शिक्षा कार्यक्रम द्वारा किए गए प्रयासों का और उनका कार्यक्रम में शामिल बालिकाओं पर हुए प्रभाव को विश्व के साथ साझा करते हुए विश्व भर में बालिकाओं के सशक्तिकरण को उत्सव के रूप में मनाएँगे!

विशेष बात यह है कि, रिपोर्ट ने बताया कि कक्षा 1  से 7  में बालिकाओं का नामांकन बालकों से ज़्यादा है। लेकिन ज़्यादातर बालिकाएँ कक्षा 9  तक पहुँचने से पहले स्कूल छोड़ देती हैं। जहाँ 97% बालिकाएँ कक्षा 5 में नामांकन करवाती हैं, ये आँकड़े कक्षा 9  तक आते आते 67% तक गिर जाते हैं। कक्षा 11 तक यह आँकड़े 41% तक गिर जाते हैं। नैशनल कमीशन फ़ॉर प्रोटेक्शन आफ़ चाइल्ड राइट्स ने भी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जो यह बताती है की क़रीब 65% बालिकाएँ जो किसी भी औपचारिक शिक्षा को ग्रहण नहीं करती हैं या तो घरेलू कामों व्यस्त हो जाती हैं या वे भिक्षा और दान पर जीवन यापन करती हैं।

वर्ल्ड बैंक की 2018 की रिपोर्ट के तहत, बालिकाओं के लिए शिक्षा के अवसरों में कमी होने एवं 12 वर्ष की औपचारिक शिक्षा को पूरा करने में बाधाएँ आने से कई राष्ट्रों को $15 ट्रिल्यन  से $30 ट्रिल्यन तक के जीवन पर्यंत उत्पादकता और आय का नुक़सान होता है। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि विश्व भर में उच्च-माध्यमिक शिक्षा प्राप्त महिलाएँ दोगुनी आय कमाती हैं। भारतीय सरकार ने विद्यालयों में बालिकाओं का नामांकन बढ़ाने के लिए और उन्हें औपचारिक शिक्षा पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कई क़दम उठाए हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ’ परियोजना इसी ओर शुरू की गयी। कई शोध बताते हैं कि जीवन कौशलों द्वारा बालिकाओं के सशक्तिकरण से वे ना केवल अपनी औपचारिक शिक्षा को पूरा करने के लिए प्रेरित होती हैं बल्कि वे अपने स्वयं के जीवन का नेतृत्व करती हैं और समाज में बदलाव का प्रतिनिधित्व भी करती हैं। ये कौशल इन बालिकाओं के जीवन से बाधाएँ हटाते हैं और उन्हें सामाजिक परिवर्तन जैसे लैंगिक असमानता, दरिद्रता, रोग एवं संघर्ष के दौरान उपाय सोचने में मदद करते हैं।

गीता मुरली, सी ई ओ, रूम टू रीड ‘यू एन गर्ल चाइल्ड डे’ (UN बालिका दिवस) पर मुंबई में आयोजित उत्सव में अपनी स्वयं की यात्रा का वृतांत करते हुए बताती हैं किस प्रकार से शिक्षा जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वे कहती हैं कि “बहुत छोटी आयु से ही मैंने सीख लिया था कि भविष्य को आकार देने में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मेरी माँ बहुत प्रतिभाशाली थीं, उन्होंने 13 वर्ष की आयु में ही उच्च-माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर ली थी। हालाँकि उनके पिता उन्हें उच्च-माध्यमिक शिक्षा के बाद पढ़ने नहीं देना चाहते थे, इतने दबाव के बावजूद मेरी माँ अड़ी रहीं कि वे शादी नहीं करेंगी। इसकी बजाय वे स्टेनॉग्राफ़र बनीं और बाद में वे भारतीय सेना में एक नर्स के रूप में शामिल हुईं । वहाँ से वे नर्सिंग वीज़ा पर अमरीका आयीं जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की, डॉकट्रेट हासिल की और वे एक स्टैटिसटिशन बनकर फ़ार्मसूटिकल (दवा) औधोगिकी में शामिल हो गयीं।

वर्षों तक, मेरी मां ने अपनी बहनों को उनकी शिक्षा के लिए पैसे भेजे, उनके लिए दवाइयों से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक तक प्रभावशाली करियर बनाने के लिए रास्ता तय किया। उसके इस साहस के कारण,  मेरे परिवार में महिलाओं की एक पूरी पीढ़ी सामाजिक बाधाओं से मुक्त हो सकी। यही शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति है और यही मुझे प्रेरित करती है ”।



गीता आगे कहती हैं, “ लगभग 250 मिलियन बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा के बुनियादी कौशलों को अर्जित करने में भी संघर्षरत हैं,  लगभग 130 मिलियन बालिकाएँ स्कूल में नामांकित नहीं हैं। रूम टू रीड के माध्यम और इसके साथ जुड़े रहकर इस आंकड़ों को बदलना मेरा अहम् लक्ष्य है। दुनिया हमारे लिए अपनी रफ़्तार को धीमा नहीं कर सकती। मैं उस परिवर्तन को देखती हूँ जो भारत और भारत से बाहर भी समुदाय में शिक्षा के माध्यम से संभव है |

रोशनारा जैसी लडकियाँ, जो बालिका शिक्षा कार्यक्रम रूम टू रीड दिल्ली के माध्यम से लाभन्वित हैं,  इस कार्यक्रम के माध्यम से अर्जित जीवन कौशलों और रूम टू रीड मेन्टर के प्रभावी सहयोग को धन्यवाद करती हैं,  जिनके द्वारा वह अपने परिवार के साथ सफलतापूर्वक बातचीत कर 15 की उम्र में ही शादी के बंधन में बंधने के बजाय अपनी शिक्षा को आगे जारी रख पाने में सफल हो सकी। वह अब स्नातक की पढाई करने वाली विश्वविद्यालय की एक छात्रा है जो अपने परिवार को सहयोग करने के लिए एक डॉक्टर की क्लिनिक में पार्ट टाइम में काम भी कर रही है।

जीवन कौशल प्रशिक्षण लड़कियों के लिए बहुत जरुरी हैं क्योंकि जीवन के ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर उन्हें अपनी बात को सही से रख पाने में ये प्रशिक्षण आवश्यक मदद प्रदान करते हैं । यद्यपि कई गुणात्मक अध्ययनों ने यह स्थापित किया की जीवन कौशलों का बालिकाओं के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,जबकि जीवन कौशल प्रशिक्षण और इसके प्रभाव के बीच संबंध खोजने के लिए अब तक बहुत सीमित ही गणनात्मक अध्ययन किए गए हैं । 2019 में, अमेरिकी विश्वविद्यालय, शिकागो में इलिनोइस विश्वविद्यालय और डार्टमाउथ कॉलेज के शोधकर्ताओं ने राजस्थान, भारत में एक सघन अध्ययन किया, यह देखने के लिए कि दृढ़ता और समस्या-समाधान जैसे जीवन कौशल कैसे विकसित किये जा सकते हैं और इन कौशलों को बालिकाओं के जीवन और मेंटरशिप प्रभाव के साथ कैसे जोड़ा जाता है | अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा शोधकर्ताओं ने राजस्थान, भारत में 2,400 किशोर बालिकाओं को इस सर्वेक्षण में शामिल  किया गया, ताकि इस बात का तुलनात्मक आकलन हो सके कि रूम टू रीड के जीवन कौशल पाठ्यक्रम से जुड़ी बालिकाओं और वे बालिकाएँ जो इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हैं, पर पाठ्यक्रम का क्या प्रभाव पड़ता है|  इस सघन, स्वतंत्र और दो-वर्षीय अध्ययन यह दर्शाता हैं कि, रूम टू रीड के मेन्टर और जीवन कौशल पाठ्यक्रम की मदद से ,बालिकाएँ लंबे समय तक स्कूल में अध्ययनरत हैं और अपने नेतृत्व-उन्मुख कौशलों को विकसित भी कर रही हैं। रूम टू रीड के बालिका शिक्षा कार्यक्रम के दो वर्षों का परिणाम रहा है की बालिकाओं द्वारा विद्यालय छोड़ने की दर 25% तक कम हुई है इस स्वतंत्र अध्ययन के निष्कर्ष से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा में कार्य करने वाले और सरकारों को बेहतर तरीके से समझने में उपयोगी है कि जीवन कौशल कैसे सिखाया जा सकता है ।

रूम टू रीड की भूतपूर्व लाभार्थी कल्पना छत्तीसगढ़ की है और वह वर्तमान में धमतरी के एक गवर्नमेंट कॉलेज से कला में स्नातक की पढाई कर रही हैं । कल्पना विद्यालय छोड़ने के कगार पर थी लेकिन उनके आत्मविश्वास और रूम टू रीड से प्राप्त जीवन कौशल शिक्षा उनके जीवन का एक मुख्य स्तम्भ रहा है | अब वह अन्य बच्चों को पढ़ा रही हैं और उन्हें बेहतर जीवन जीने के लिए तैयार भी कर रही हैं उनके परिवार में काफी मुश्किलें थीं – गंभीर रूप से बीमार माँ, पूरी तरह से गरीबी से त्रस्त, घर और परीक्षा केंद्र के बीच की दूरियाँ और एक पिता, जिनके लिए उसकी शिक्षा उनकी प्राथमिकता नहीं थी |



बालिकाओं का जीवन कौशलों को सीखना और शैक्षणिक रूप से प्रगति करना एक व्यापक प्रभाव डालता है। कार्य क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाती हैं । यदि 10% और अधिक लड़कियां शिक्षित हो जाती हैं,  तो किसी देश की जीडीपी 3% तक बढ़ जाती है। शिक्षा का एक अतिरिक्त वर्ष महिला के वेतन में 10-20% की वृद्धि करता है, जिसके परिणामस्वरूप गरीबी की दर कम होती है। शिक्षित लड़कियां बच्चे के जन्म के लिए उचित उम्र का इंतजार करती हैं और बेहतर जीवन के साथ छोटे और स्वस्थ परिवार निर्माण करती हैं। शिक्षित महिलाएँ अपने बच्चों को शिक्षित करने के प्रति अधिक तत्पर रहती हैं।

उच्च माध्यमिक स्कूली शिक्षा का बालिकाओं पर अन्य सकारात्मक प्रभाव भी होतें हैं जिनमें स्वयं, उनके बच्चों और उनके समुदायों के लिए व्यापक सामाजिक और आर्थिक लाभ शामिल हैं । इसके साथ - साथ  बाल विवाह को समाप्त करना, उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले देशों में प्रजनन दर को एक तिहाई कम करना और बाल मृत्यु दर और कुपोषण को कम करना भी शामिल है। रूम टू रीड से लाभान्वित बालिकाओं ने सामाजिक मानदंडों को बदल दिया है। वे अब अपने लिए बेहतर नौकरियों के अवसर चुनने एवं दबाव पूर्ण विवाह ना करने के संबंध में उचित बातचीत करने में सक्षम हो चुकी हैं ।

रियाना, अजमेर, राजस्थान के कठात समुदाय की एक चौदह वर्षीय बालिका का सपना था कि वह अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी करके शिक्षिका बने। लेकिन उसके इन सपनों को पूरा करने में उसे बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ा। कठात समुदाय में सामुदायिक समूह विवाह का प्रचलन है। “मेरी बहन का विवाह हो रहा था, सो मेरे रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि मेरा विवाह भी साथ ही करवा देना चाहिए। इससे विवाह का ख़र्चा बचेगा”। जीवन कौशलों के प्रशिक्षण द्वारा रियाना ने अपने माता-पिता को समझाने की कोशिश की कि वह अभी विवाह के लिए बहुत छोटी है और वह अपनी शिक्षा पूरी करके आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती है। रियाना उन सभी बालिकाओं का प्रतिनिधित्व करती है जिन्हें हर रोज़ इन प्रथाओं और प्रचलनों का सामना करना पड़ता है। बहुत सी बालिकाएँ युवावस्था आते ही औपचारिक शिक्षा बीच में ही छोड़ देती हैं। भारत में क़रीब 1.5 मिल्यन बालिकाओं का विवाह वैधानिक आयु से पहले ही हो जाता है। आज रियाना और उसके जैसी बहुत सी बालिकाएँ आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्र जीवन जीने के पथ से जुड़ गयी हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Maximum Learning Sets the Stage Alight with an Unforgettable Performance by MTV Hustle RAP Artist NAZZ

Maximum Learning, a premier institution at the forefront of revolutionizing digital marketing education, hosted a live musical performance by the sensational MTV Hustle RAP artist, NAZZ. The electrifying event took place on the eve of Christmas Day, creating a memorable and festive atmosphere for the entire community.

IILM University, Greater Noida Introduces Innovative MBA Program in Management Technology

With an ambitious vision to empower students for Industry 5.0, the School of Management at IILM University, Greater Noida, is pleased to announce the launch of an industry-leading MBA program in Management Technology.

KidZania's Winter Wonderland: A Magical Festive Extravaganza Captivates Families

The enchanting Winter Wonderland festivities at KidZania Delhi NCR and Mumbai kickstarted on 15th December 2023 and will conclude on January 7, 2024, leaving behind cherished memories of a magical holiday season. Families and children indulged in the timeless charm and joyful spirit of the holidays throughout the celebration, turning KidZania into a haven of festive joy.